ट्रम्प का आव्रजन क्रैकडाउन: अमेरिकी डिपोर्टेशन की चिंता के बीच भारतीय छात्र पार्ट-टाइम नौकरियां छोड़ने को मजबूर
नई दिल्ली – अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आव्रजन नीति के तहत कड़े कदमों के बाद भारतीय छात्रों पर इसके गंभीर असर देखने को मिल रहे हैं। विशेष रूप से, उन छात्रों के लिए जो अमेरिका में पढ़ाई करने के दौरान पार्ट-टाइम काम करते हैं, ट्रम्प के क्रैकडाउन के कारण एक नई चुनौती सामने आ रही है। डिपोर्टेशन (देश निकाले) की संभावना के डर से कई भारतीय छात्र अपनी पार्ट-टाइम नौकरियां छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
ट्रम्प का आव्रजन क्रैकडाउन क्या था?
डोनाल्ड ट्रम्प के शासनकाल के दौरान, अमेरिकी आव्रजन नीति में कई कड़े बदलाव किए गए थे, जिनका उद्देश्य अवैध प्रवासियों की संख्या को कम करना था। इस नीति के तहत, विशेष रूप से विदेशी छात्रों पर कड़ी नजर रखी जाती थी। इन छात्रों के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई जब ट्रम्प प्रशासन ने काम करने के नियमों को कड़ा कर दिया, जिससे उन छात्रों की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम काम कर रहे थे।
भारतीय छात्रों पर असर
अमेरिका में अध्ययन करने के लिए आने वाले भारतीय छात्र, खासतौर से STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में, अक्सर अपनी शिक्षा के खर्च को कम करने के लिए पार्ट-टाइम नौकरियां करते हैं। लेकिन ट्रम्प प्रशासन के कड़े फैसलों के बाद, ऐसे छात्र जो फेडरल और राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन करने से डर रहे थे, उन्होंने अपनी नौकरियों को छोड़ना शुरू कर दिया। यह स्थिति उन छात्रों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है, क्योंकि अब उन्हें अपनी शैक्षिक यात्रा को बिना किसी वित्तीय सहायता के पूरा करने का दबाव था।
डिपोर्टेशन की चिंता
अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए डिपोर्टेशन की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने ऐसे छात्रों के लिए नियमों को सख्त कर दिया था, जो पार्ट-टाइम काम करते हुए अपने छात्र वीजा के नियमों का उल्लंघन करते थे। इसके अलावा, प्रशासन ने नियमों को लेकर और कड़ी निगरानी शुरू कर दी थी, जिससे छात्रों में एक भय का माहौल बन गया था। इस डर से, कई भारतीय छात्रों ने अपने पार्ट-टाइम काम छोड़ दिए हैं, ताकि वे किसी प्रकार की कानूनी समस्या से बच सकें।
भारतीय छात्र और उनकी चुनौतियां
भारतीय छात्र जो अमेरिका में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उनकी प्रमुख चिंता यह है कि वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी जीविका कैसे चला पाएंगे। अधिकांश छात्र अपनी पढ़ाई के खर्च को पूरा करने के लिए पार्ट-टाइम काम करते हैं। लेकिन ट्रम्प के आव्रजन नीति के कारण कई छात्र अब मजबूर हो गए हैं कि वे अपनी नौकरियां छोड़कर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें, जिससे उनके जीवनयापन की समस्या और बढ़ गई है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक और आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प की आव्रजन नीति से न केवल भारतीय छात्रों, बल्कि अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भी भारी नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति से अमेरिका की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ा है, क्योंकि यह छात्रों के लिए एक अविश्वसनीय माहौल उत्पन्न करता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे कदमों से अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका की विश्वविद्यालयों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका में पढ़ाई करने आए भारतीय छात्रों के लिए ट्रम्प के आव्रजन क्रैकडाउन ने कई नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। उनके लिए यह समय काफी कठिन है, जहां उन्हें अपनी शिक्षा के साथ-साथ वित्तीय समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, बाइडेन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद कुछ राहत की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन अभी भी छात्रों को कई सवालों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों को अपने अध्ययन के दौरान कानूनी और वित्तीय समस्याओं से बचने के लिए बेहतर माहौल मिले।