आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: वैश्विक चुनौतियाँ और भारत आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: वैश्विक चुनौतियाँ और भारत आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: वैश्विक चुनौतियाँ और भारत आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट

दिल्ली: 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में किया पेश

भारत सरकार के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। यह सर्वेक्षण आगामी वित्तीय वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का विस्तृत विवरण है। इसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों विभाग द्वारा तैयार किया गया है, और इसकी निगरानी मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) द्वारा की जाती है। आर्थिक सर्वेक्षण हर साल सरकार की आर्थिक नीतियों और चालू वित्तीय वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट प्रदान करता है।

वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य और चुनौतियाँ

इस बार के सर्वेक्षण में वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में प्रमुख चिंताएँ व्यक्त की गई हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने सर्वेक्षण के परिचय में कहा कि वैश्विक आर्थिक माहौल अब अनुकूल नहीं रह गया है। उन्होंने बताया कि वैश्विक व्यापार और निवेश की गति बेहद धीमी हो गई है और “वह रुक-रुक कर चल रहे हैं।” इसके परिणामस्वरूप, भारत सहित अन्य देशों के लिए आर्थिक विकास को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है।

वैश्विक व्यापार और निवेश की मंदी
सर्वेक्षण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वैश्विक व्यापार में ठहराव और विदेशी निवेश की कमी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई जोखिम पैदा कर दिए हैं। इसके अलावा, कोरोना महामारी के बाद विभिन्न देशों में आर्थ‍िक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में उतार-चढ़ाव आया है, जिसके कारण भारत को भी अनुकूल माहौल मिलने में दिक्कतें आ रही हैं।

भारत की आर्थिक वृद्धि और नीति दिशा

हालांकि, सर्वेक्षण में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता की भी सराहना की गई है। भारत का विकास इस वित्तीय वर्ष में मजबूती से हो रहा है, लेकिन यह वैश्विक मंदी के बावजूद बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके अलावा, सरकार के द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों और नीतियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया का उल्लेख करते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक स्थिरता पर विश्वास जताया गया है।

सर्वेक्षण में उल्लिखित जोखिम

  1. वैश्विक अनिश्चितताएँ:
    वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, जैसे कि व्यापार युद्ध, बढ़ती महंगाई, और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं।
  2. निवेश की कमी:
    विदेशी निवेश की धीमी गति और घरेलू निवेश में गिरावट को भी गंभीर चिंता का विषय माना गया है, जो आने वाले समय में विकास दर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

निष्कर्ष

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 यह संकेत देता है कि भारत को अगले कुछ वर्षों में वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन साथ ही देश के भीतर किए गए सुधारों और नीतियों की मजबूती से भी सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। अगर सरकार वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों के साथ संतुलन बनाए रख पाई, तो भारत की आर्थिक वृद्धि में गति बनी रह सकती है।

अंत में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की आर्थिक नीति पर इस सर्वेक्षण का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जाएगा और सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए अपनी नीतियों को और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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