प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों पर अपनी व्यथा व्यक्त की और ऐसे अपराधों की त्वरित जांच की वकालत करते हुए कहा कि अपराधियों को जल्द से जल्द सख्त सजा दी जानी चाहिए. हाल ही में कोलकाता के एक अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर देशव्यापी विरोध के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ देश में आक्रोश है. देश, समाज और राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा.
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की शीघ्र जांच हो, इन जघन्य कृत्यों को अंजाम देने वालों को यथाशीघ्र कठोर दंड मिले – यह समाज में विश्वास पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है.’
9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर मृत पाई गई. परिवार ने आरोप लगाया है कि पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. इस घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है और चिकित्सा समुदाय के भीतर और बाहर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. पूरे देश में डॉक्टरों ने एक पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी (पीजीटी) डॉक्टर की हत्या और कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ जोरदार समर्थन जताते हुए पीड़िता के लिए न्याय की मांग की है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है. हम न केवल महिलाओं का सम्मान करते हैं, न केवल उनके लिए संवेदनशील निर्णय लेते हैं, बल्कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णय लेते हैं कि सरकार मां की अपने बच्चे को एक उत्कृष्ट नागरिक बनाने की आवश्यकताओं में बाधा न बने.’
दशकों पहले देश के लिए लड़ने वालों के बलिदान को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्र उनका ऋणी और कृतज्ञ है. पीएम मोदी ने कहा, ‘यह उन लोगों को सलाम करने का दिन है जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति दी. हम हर बहादुर दिल को नमन करते हैं और श्रद्धा के साथ अपना सम्मान देते हैं.’
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र से 2047 तक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा कि 40 करोड़ भारतीयों ने दशकों पहले अंग्रेजों को भगाने के लिए ताकत और साहस दिखाया था. आजादी से पहले, 40 करोड़ भारतीयों ने साहस, समर्पण और बहादुरी दिखाई और एक आदर्श वाक्य के साथ आगे बढ़े और सभी प्रतिकूलताओं के बावजूद औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को तोड़ दिया. उनका एकमात्र लक्ष्य स्वतंत्रता था. अगर 40 करोड़ भारतीय ऐसा कर सकते हैं, तो मेरे परिवार के 140 करोड़ भारतीय चमत्कार कर सकते हैं, अगर वे एक प्रतिज्ञा करें तो सभी चुनौतियों के बावजूद हम 2047 तक विकसित भारत बना सकते हैं.’