हिमाचल प्रदेश में गहराते आर्थिक संकट के बीच सीएम सुक्खू ने एक बार फिर कड़े फैसले लेने की बात कही है. बुधवार को सदन में कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को लेकर उन्होंने साफ किया कि सैलरी 5 सितंबर और पेंशन 10 सितंबर को आएगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल बाजार से लोन उठाने की लिमिट सिर्फ 2300 करोड़ रुपये बची है और इसका इस्तेमाल दिसंबर तक करना है. ऐसे में इस पैसे का सदुपयोग बहुत जरूरी है, अगर खजाना लुटाते रहे तो सही नहीं होगा. इसलिये आने वाले समय में कड़े फैसले लेंगे. सीएम ने दो टूक कहा कि फ्री बिजली नहीं देंगे, मुख्यमंत्री ने उदाहरण दिया कि फ्री बिजली के फैसले से एक ही परिवार ने 4-4 मीटर लगा लिए, जिससे नुकसान हो रहा है.
मंगलवार को भी मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने डीजल पर वैट बढ़ाने के साथ-साथ अन्य कदम उठाने के भी संकेत दिए थे. सीएम सुक्खू ने कहा था कि “राजस्व बढ़ाने के लिए कई लोगों ने मुझे संपर्क किया कि हम बिजली का बिल देना चाहते हैं. ऐसे में हम चरणबद्ध तरीके से बिजली के बिल में एकरूपता लाएंगे. इसी तरह हमने मिनिमम पानी का बिल 100 रुपये कर दिया लेकिन जिन परिवारों की आय 50,000 रुपये से कम है उनसे ये भी नहीं लिया जाएगा. इसके साथ ही बसों में जो भी रिफॉर्म किया जा सकता है वो किया जाएगा. शराब के ठेकों की नीलामी से भी हमें आय हो रही है.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि “आर्थिक संकट नहीं है, हम आर्थिक संकट से उबर रहे हैं. हिमाचल आर्थिक संकट को पार कर चुका है, अब अनुशासन लाकर आत्मनिर्भर हिमाचल बनाना है और उसके लिए ये कदम उठाना जरूरी है.