हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र में गुरुवार को मंत्री जगत सिंह नेगी और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बीच तीखी नोक-झोंक हुई. इसके बाद विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट करते हुए बाहर चले गए. हालांकि बाद में पक्ष और विपक्ष के बीच इस तनातनी को स्पीकर ने कार्यवाही से हटा दिया
इसके बाद राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि सदन में जब भी सत्ता पक्ष से बोलने के लिए खड़ा होता हूं. प्रतिपक्ष के नेता जयराम ठाकुर अपनी सीट से उठकर बीच में ही बोलना शुरू कर देते हैं जो कि सदन के नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा जब भी सदन में कोई सदस्य बोल रहा है तो नियमों के मुताबिक अध्यक्ष से अनुमति लिए बिना किसी को बोलने की इजाजत नहीं है. विपक्ष सुर्खियों में बना रहना चाहता है इसलिए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सनसनी फैलाना चाहते हैं.
मंत्री ने कहा मैंने नियम 130 के तहत आपदा को लेकर सदन में जवाब दिया था जिस पर विपक्ष की तरफ से विधायक रणधीर शर्मा ने कुछ बातें कहीं. ऐसे में राजस्व मंत्री होने के नाते मैंने नियमों के तहत विधानसभा अध्यक्ष से अपना स्पष्टीकरण का मौका देने की मांग की और नियमों के तहत अध्यक्ष ने मुझे अपनी बात रखने का मौका दिया. मैं सदन में अपनी बात को रख रहा था. इस बीच नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर एकदम से अपनी सीट पर खड़े होकर मुझे टोकते रहे जो सदन के नियमों के खिलाफ है.
सदन में जब भी कोई सदस्य बोल रहा होता है तो दूसरा सदस्य बीच में रोककर और बाधित नहीं कर सकता. उन्होंने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर मुझे इसलिए बाधित कर रहे थे कि मैं सदन में सच्चाई बयां कर रहा था जो भाजपा को अच्छा नहीं लगती. जिस पर नेता प्रतिपक्ष उत्तेजित हो गए और वह अपनी भाषा पर कंट्रोल नहीं रख सके.
मुझे कहने लगे कि यह आदमी बकवास कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं बकवास सुनने के लिए विधानसभा में नहीं बैठा हूं, मैं भी पांच बार का विधायक हूं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर हो सकता है कि एक बार ज्यादा मुझसे विधायक बने हों.
जगत सिंह नेगी ने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जब मुख्यमंत्री थे तब भी सदन में मेरे साथ इसी तरह का बर्ताव करते थे. मैं विपक्ष में रहते हुए नियमों के तहत मजबूती के साथ अपनी बात उठाता था तो नेता प्रतिपक्ष जयराम मेरे साथ ऐसे ही बर्ताव करते थे.
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल में पिछले मानसून सीजन में बादल फटने और बाढ़ आने की घटना से बहुत बड़ी त्रासदी आई थी जिससे 12 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, लेकिन केंद्र से हिमाचल को जो स्पेशल पैकेज मिलना चाहिए था. वह नहीं मिला.