शिमला में पिछले साल मानसून ने जमकर तबाही मचाई थी. आज ही के दिन 14 अगस्त को बीते साल समरहिल के शिव मंदिर में फ्लैश फ्लड आया जिसमें पूरा इलाका मलबे के नीचे दफन हो गया. इसी मलबे में 20 जिंदगियां भी दफन हो गई. आज इस हादसे को पूरा एक साल हो गया है.
जिस समय क्रुद्ध प्रकृति के कोप का मलबा समरहिल स्थित शिव बावड़ी मंदिर पर आया, महाकाल की आराधना के लिए जुटे 20 प्राणवान शरीर जड़ हो गए. भारी मलबे में दबे लोगों ने संभवत एकबारगी सोचा होगा कि ईश कृपा से कोई चमत्कार हो जाएगा, लेकिन शिव अपने काल रूप में थे. मलबे में दबे 20 लोगों की करुण और कातर पुकार के साथ हादसे की जगह बाहर व्यथित व विचलित अवस्था में खड़े परिजनों की प्रार्थनाएं भी काम नहीं आई. भारी मलबे में दब चुके 20 इंसानों के प्राण सावन के अंतिम सोमवार को अपने अंतिम सफर पर रवाना हो गए. ठीक दस दिन बाद 24 अगस्त को सर्च ऑपरेशन पूरा हुआ. वैसे ये सर्च ऑपरेशन रेस्क्यू ऑपरेशन होता तो कितना सुखद होता.
पिछले साल 14 अगस्त के दिन राजधानी शिमला के समरहिल में शिवबाड़ी मंदिर में माथा टेकने आए कई लोगों ने अपनी जान गवाई थी, बुधवार को उन्हीं को मंत्री धनीराम शांडिल ने श्रद्धांजली अर्पित की। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बीती साल आई त्रासदी काफी दुखद थी और काफी अधिक नुकसान देखने को मिला था। वहीं, उन्होंने बताया कि इस बार भी बरसात से होने वाली त्रासदी के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार हैं ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो सके।