ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने हिमाचल प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्र में गारंटिड रोजगार अवसर प्रदान कर ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी सुदृढ़ करने और इन क्षेत्रों में अधोसंरचना निर्माण से गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी बसती है और मनरेगा के तहत एक वर्ष में 100 कार्य दिवस का गारंटिड रोजगार प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा के तहत अतिरिक्त बीस दिनों के कार्य दिवस का प्रावधान किया गया है, जिस पर होने वाला सम्पूर्ण खर्च प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अप्रैल, 2024 से मनरेगा दिहाड़ी को 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिहाड़ीदारों को लाभान्वित किया है।
बैठक के दौरान वित्त वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की गई और अवगत करवाया कि वित्त वर्ष 2023-24 में हिमाचल प्रदेश में 344 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किया गए, जिनमें से 64 प्रतिशत कार्य दिवस महिलाओं द्वारा अर्जित किए गए। वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई तक 144 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए हैं।
मनरेगा को प्रदेश में लागू करने से अब तक इसके तहत 11 लाख 71 हजार 739 कार्यों में से लगभग 86 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि शेष कार्य निर्माणाधीन हैं। बैठक में बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत 1288 करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक व्यय किया गया। वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई तक लगभग 688 करोड़ रुपये खर्च किए गए और 99 प्रतिशत से अधिक मामलों में समय पर मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है।
बैठक में हिमाचल प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद के नामित सदस्यों ने परिषद के समक्ष अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि परिषद के समक्ष आए सुझावों को लोगों के कल्याणार्थ एवं पंचायती राज संस्थानों को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत प्रभावी रूप से केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।
बैठक में निदेशक ग्रामीण विकास एवं आयुक्त मनरेगा राघव शर्मा, निदेशक मत्स्य पालन विवेक चन्देल और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।