मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अपने आधिकारिक निवास ओक ओवर मे बान का पौधा रोपकर 75वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ किया। इस वर्ष वन विभाग ने प्रदेश में नौ हजार हेक्टेयर भूमि में पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री ने सूखे और क्षतिग्रस्त पेड़ों के निस्तारण की मानक संचालन प्रक्रिया का भी शुभारंभ किया, जिसके तहत वन रक्षक स्तर पर दो पेड़ और मंडलीय वन अधिकारी स्तर पर 25 पेड़ काटने की अनुमति प्रदान की गई है।


रैखिक परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री ने वन संरक्षण अधिनियम के प्रथम चरण की स्वीकृति के पश्चात परियोजना के दायरे में आने वाले पेड़ों को काटने के लिए वन विकास निगम के अधिकारियों के साथ-साथ वन विभाग के वन अधिकारियों को भी शक्तियां सौंपने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त उन्होंने वन विभाग ई-फॉरेस्ट सॉफ्टवेयर की बीटा टेस्टिंग का भी शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य विभागीय कार्यों को सुव्यवस्थित करना तथा पारदर्शिता को बढ़ाना है।
उन्होेंने वन क्षेत्र में फलदार पौधों के रोपण को 30 से बढ़ाकर 60 फीसदी करने पर बल दिया, जिसके आगामी दस वर्षों में सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वन विभाग और निगम ने बीते वर्ष 15 हजार क्षतिग्रस्त पेड़ों को प्रसंस्कृत किया, जिससे लकड़ी की बिक्री से राजस्व प्राप्त हुआ। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार की रॉयल्टी आय मात्र डेढ़ वर्ष में 35 से बढ़कर 70 करोड़ रुपये हो गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक रणनीतिक फैसला लेते हुए वन विभाग की निर्माण शाखा को बंद करने का निर्णय लिया और इसे वानिकी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए। श्री सुक्खू ने कहा कि लाहौल-स्पीति में महिला मंडल बढ़चढ़ कर पौधरोपण गतिविधियों और वन संरक्षण में शामिल हो रहे हैं, जिससे महिलाओं के समूहों को राजस्व सृजन के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प के तहत विभिन्न कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग सहित प्रदेश के अन्य विभागों में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जिससे कार्यशैली में सुधार होने के साथ ही लोगों को भी लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 31 मार्च 2026 तक प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य को हासिल करने में वन विभाग की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राज्य की हरित पहलों को रेखाकिंत करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा ऊना जिला के पेखूबेला में 32 मेगावाट की सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की है तथा आगामी 6 माह में 2 अन्य सौर संयंत्र शुरू कर दिए जाएंगे। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आयल इंडिया कम्पनी के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित किया है, जो हिमाचल प्रदेश को उसके हरित ऊर्जा राज्य बनने के लक्ष्य के मार्ग को प्रशस्त करेगा।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों से वन महोत्सव में भाग लेने वाले मंत्रियों और विधायकों के साथ वर्चुअल माध्यम से बातचीत की।
मुख्य संसदीय सचिव सुन्दर सिंह ठाकुर ने हिमाचल को हरित राज्य के बनाने के मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण और प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बंजर पहाड़ियों पर पौधरोपण, ईको पर्यटन स्थलों को विकसित करने तथा वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के मामलों में तेजी लाने के लिए वन विभाग के समर्पित प्रयासों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रहा है लेकिन अभी भी इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल राजीव कुमार ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और विभाग की गतिविधियों से अवगत करवाया।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष विनय कुमार, मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार चौधरी, विधायक हरीश जनारथा, पूर्व मंत्री रंगीला राम राव, हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केहर सिंह खाची, हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव कंवर, हिमाचल प्रदेश सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम, शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान, उपायुक्त अनुपम कश्यप और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।